केदार सिंह शिवपुरी। कृषि उपज मंडी शिवपुरी में वर्षों से एक ही स्थान पर जमे कुछ कर्मचारियों ने न सिर्फ नियमों को ताक पर रख दिया है, बल्कि उन्होंने मंडी सचिव तक की भूमिका को निष्क्रिय कर रखा है। ये कर्मचारी खुद को ही 'सर्वेसर्वा' मानते हुए अपने कार्यों को बिना किसी निर्देश या निगरानी के अंजाम दे रहे हैं। इससे न केवल मंडी की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है, बल्कि व्यापारी, किसान और खुद मंडी सचिव भी परेशान हैं।
सूत्रों के अनुसार, मंडी में लगभग 10 से 15 वर्षों से एक ही पद पर टिके कर्मचारियों ने 'अंगद के पांव' की तरह अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। सचिव के आदेशों की अनदेखी करना, कार्यों में टालमटोल करना, और पारदर्शिता से दूर रहना इनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। मंडी सचिव का कहना है कि यदि ऐसे कर्मचारियों का तबादला कर दिया जाए और नई ऊर्जा के साथ ईमानदार कर्मचारी तैनात किए जाएं तो व्यवस्था में अपने आप सुधार आ सकता है। लेकिन कर्मचारियों की ऊपरी पकड़ और स्थानीय स्तर पर बने गठजोड़ के चलते यह कदम अब तक नहीं उठाया गया है। किसानों और व्यापारियों का कहना है कि वे सालों से मंडी की इसी अव्यवस्था से जूझ रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही, सरकारी राजस्व को भी लगातार नुकसान हो रहा है, क्योंकि भ्रष्टाचार और अनियमितता के चलते मंडी की आमदनी पर असर पड़ा है। जनता और मंडी से जुड़े लोगों की मांग है कि शासन इस ओर गंभीरता से ध्यान दे और वर्षों से जमे इन कर्मचारियों का तत्काल प्रभाव से तबादला कर मंडी व्यवस्था को पारदर्शी और सुचारु बनाए।